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Monday, 6 August 2018

6 अगस्त, 1945 को अमेरिका ने जापान पर तबाही का बम ' लिट्ल बॉय' गिराया था। लाखों लोग की मिनटों में मौत हो गई थी। आइये इससे जुड़ीं कुछ अनसुनी बातें जानते हैं...

बमबारी की चेतावनी
अमेरिकी वायुसेना ने हवाई जहाज से हिरोशिमा में पम्फलेट गिराकर लोगों को बमबारी को लेकर चेताया था।

शांति की ज्वाला
हिरोशिमा, जापान में ऐटमी हमले के पीड़ितों की याद में शांति की ज्वाला 1964 में जलाई गई। इसको उस समय ही बुझाया जाएगा जब दुनिया से सारे न्यूक्लियर हथियार खत्म हो जाएं और दुनिया न्यूक्लियर खतरे से मुक्त हो जाए।

पुलिस वाले की तरकीब
हिरोशिमा पर पहली बमबारी के बाद वहां का एक पुलिसकर्मी नागासाकी गया। उसने वहां जाकर अन्य पुलिसकर्मियों को ऐटमी हमले से बचने की तरकीब बताई। समय पर बरती गई इस सावधानी की वजह से ही नागासाकी परमाणु हमले में एक भी पुलिसकर्मी की मौत नहीं हुई।

सुतोमू यामागुची
जब हिरोशिमा पर बमबारी हुई तो सुतोमू यामागुची बच गए। उन्होंने वहां से ट्रेन पकड़ी और जॉब पर नागासाकी पहुंच गए। वहां वह दूसरे परमाणु हमले में भी बच गए।

सरकारी फूल
ओलियंडर हिरोशिमा का सरकारी फूल है क्योंकि परमाणु हमले के बाद खिलने वाली पहली चीज आई थी।

इनोला गे
जिस बमवर्षक विमान ने हिरोशिमा और नागासाकी पर बमबारी की उसका नाम इनोला गे था। उसमें 12 लोग सवार थे जिनमें से सिर्फ 3 को ही मिशन के बारे में पता था।

जापान के रेडार ऑपरेटर्स की चूक
1945 में जापान के रेडार ऑपरेटर्स ने अमेरिका के कुछ जहाजों को आते देखा। उनलोगों को लगा कि यह कोई खतरा नहीं है और उनको नहीं रोका। लेकिन वास्तव में उनमें से ही एक जहाज में हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराने वाला बम था।

एक पेड़ जो जिंदा रहा
हिरोशिमा बमबारी जिंदा बच जाने वाली जीव प्राणियों में एक पेड़ भी शामिल था। यह पेड़ 27 करोड़ साल पुरानी पेड़ों की एक प्रजाति गिनको बिलोबा प्रजाति का है। यह पेड़ अब तक जिंदा है।

डॉ.स्यूस की माफी
डॉ.स्यूस ने बच्चों की एक किताब लिखी थी जिसका नाम 'हॉर्टन हीयर्स अ हू' था। यह किताब हिरोशिमा हमले और अमेरिकी कब्जे का रूपक था। एक तरह से डॉ.स्यूस ने जापानी नजरबंदी के अपने समर्थन के लिए माफी मांगी थी।

रेडियोऐक्टिविटी के असर से अमेरिका का इनकार
अमेरिका ने इस बात को खारिज कर दिया था कि हिरोशिमा पर बमबारी का कोई दीर्घ अवधि असर पड़ेगा। अमेरिका ने उसको जापान का प्रॉपेगैंडा कहा था। न्यू यॉर्क टाइम्स ने एक आर्टिकल भी छापा था जिसका शीर्षक NO RADIOACTIVITY IN HIROSHIMA RUIN था जिसमें सैन्य सूत्रों के हवाले से दावा किया था कि वहां कोई हानिकारक असर पड़ेगा।

गॉडजिला
बमबारी की प्रतिक्रिया में जापान ने गॉडजिला फिल्म बनाई जो हिरोशिमा और नागासाकी पर न्यूक्लियर हमले का प्रतीक है।

क्योटो को क्यों बख्शा गया?
क्योटो ऐटमी तबाही से सिर्फ और सिर्फ उस समय अमेरिका के युद्ध मंत्री रहे हेनरी एल.स्टिमसन की वजह से बच गया। दरअसल अमेरिका ने जापान के जिन शहरों पर परमाणु हमले की योजना बनाई थी उनमें नागासाकी शामिल नहीं था लेकिन क्योटो जरूर शामिल था। हेनरी ने अपना हनीमून क्योटो में मनाया था इसलिए वह इस शहर के प्रशंसक थे। जब उनके सामने जापान के टारगेट वाले शहरों की सूची आई तो वह क्योटो का नाम हटाने पर अड़ गए। आखिरकार क्योटो का नाम हटाकर नागासाकी को शामिल किया गया।

पम्पकिन बम
अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर असल परमाणु बम गिराने से पहले 49 प्रैक्टिस बम गिराए। उन बमों का नाम पम्पकिन बन था जिनको गिराने से 400 लोगों की मौत हुई और करीब 1,200 लोग घायल हो गए।

लिट्ल बॉय और फैट मैन
हिरोशिमा पर जो बम गिराया गया उसका कोड नेम 'लिट्ल बॉय' था। उससे भी काफी बड़ा बम नागासाकी पर गिराया गया जिसका कोड नेम 'फैट मैन' था।

जापान की सरकार को 3 घंटे समझन में लगे
हिरोशिमा पर अमेरिका ने विनाशकारी बन गिराए गए हैं, यह समझने में जापान की सरकार को तीन घंटे लग गए।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com

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