नई दिल्ली
डीयू के फॉर्म भरे जा चुके हैं मगर कोर्स को लेकर स्टूडेंट्स की उलझने दूर नहीं हो रहीं। खासतौर पर कॉमर्स को लेकर स्टूडेंट्स हाई कटऑफ के लिए हुए डरे हुए हैं। टीचर्स का कहना है कि अगर कॉमर्स आपकी पसंद है मगर बीकॉम ऑनर्स की हाई कटऑफ आपके स्कोर से मैच नहीं हो रही, तो बीकॉम को अपनाएं। बीकॉम में सीटें भी ज्यादा हैं। साथ ही, अगर ग्रैजुएशन के बाद मैनेजमेंट वगैरह में जाना है तो बीकॉम काफी है।
कॉमर्स के लिए हर साल हजारों स्टूडेंट्स अप्लाई करते हैं और करीब 13 हजार के आसपास ऐडमिशन पाते हैं। दोनों ही कोर्स के लिए स्टूडेंट्स अप्लाई करते हैं। इसके बाद कई स्टूडेंट्स जिन्हें कॉमर्स ऑनर्स में ऐडमिशन नहीं मिल पाता, तो वे बीकॉम में ऐडमिशन लेते हैं। बीकॉम के लिए सीटें भी ज्यादा है। दोनों ही कोर्स में कॉलेज-कॉलेज के हिसाब से 1 से 8 पर्सेंट के बीच अंतर रहता है।
डिमांड में कॉमर्स
बीकॉम ऑनर्स की कटऑफ पिछले कुछ सालों में 95 से 99% के बीच रही है। जो कॉलेज टॉप नहीं माने जाते, वहां भी 90 से 92 की कटऑफ पर आखिरी कटऑफ में स्टूडेंट्स का नंबर आता है। कॉमर्स के दोनों ही कोर्सों की एक एक सीट के लिए फाइट रहती है। पिछले साल यूनिवर्सिटी को बीकॉम के लिए 80000 ऐप्लिकेशन मिली थीं और बीकॉम ऑनर्स के लिए 72996 स्टूडेंट्स ने अप्लाई किया था। नामी कॉलेजों में बीकॉम ऑनर्स और बीकॉम की कटऑफ में 1 से 2% का ही अंतर था।
किनके लिए है बेस्ट
डीयू में कॉमर्स के अंडरग्रैजुएशन लेवल में दो कोर्स हैं- बीकॉम ऑनर्स और बीकॉम। मल्टिनैशनल कंपनियों में भी कॉमर्स स्टूडेंट्स की डिमांड भी बहुत है, साथ ही मैनेजमेंट स्टडीज करनी है उसके बेस के लिए भी स्टूडेंट्स ग्रैजुएशन लेवल में कॉमर्स पढ़ना चाहते हैं। पिछले पांच साल में कॉमर्स के लिए डीयू में ऐप्लिकेशंस की संख्या 60 हजार से 80 हजार के बीच गई है।
क्या है क्राइटेरिया
डीयू में कॉमर्स ऑनर्स के लिए पिछले साल से 12वीं में मैथमैटिक्स कंपल्सरी है। फैकल्टी ऑफ कॉमर्स ऐंड बिजनेस स्टडीज की असोसिएट प्रोफेसर सुनैना कनौजिया कहती हैं, बीकॉम ऑनर्स के करिकुलम में मैथ्स ज्यादा है इसलिए मैथ्स जरूरी है। मगर अगर आपकी मैथ्स नहीं रही है या फिर कटऑफ में नाम नहीं आता है तो बीकॉम पास का ऑप्शन है। डीयू का यह कोर्स भी बढ़िया है और दोनों में मैथ्स के लेवल का ही ज्यादा फर्क है। यह कोर्स भी तकरीबन सभी कॉलेजों में है, सीट भी ज्यादा है। वैसे भी ग्रैजुएशन के बाद ज्यादातर स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन की ओर जाते हैं इसलिए इस कोर्स में ऐडमिशन भी मायने रखता है।
कोर्स स्ट्रक्चर
डीयू के कॉमर्स ऑनर्स के करिकुलम में कॉमर्स के अलावा कोर इकनॉमिक्स की काफी पढ़ाई है, जिससे कि स्टूडेंट हायर स्टडीज के लिए खासतौर पर मैनेजमेंट, फाइनैंस में काफी मदद मिलती हैं। साथ ही, यह डॉमेस्टिक और इंटरनैशनल इकनॉमी के फंडे को कवर करती है। कुछ कॉलेजों ने इस कोर्स में प्रैक्टिकल करिकुलम भी रखा है। वहां स्टूडेंट्स अलग अगल इंडस्ट्री में इंटर्नशिप के लिए भी भेजे जाते हैं। फैकल्टी ऑफ कॉमर्स ऐंड बिजनेस स्टडीज की असोसिएट प्रफेसर सुनैना कनौजिया कहती हैं, बीकॉम ऑनर्स के करिकुलम में मैथ्स ज्यादा है इसलिए मैथ्स जरूरी है। मगर अगर आपकी मैथ्स नहीं रही है या कटऑफ में नाम नहीं आता है तो बीकॉम पास का ऑप्शन है। डीयू का यह कोर्स भी बढ़िया है और दोनों में मैथ्स के लेवल का ही ज्यादा फर्क है। यह कोर्स भी तकरीबन सभी कॉलेजों में है, सीट भी ज्यादा है। यूजी के बाद भी वैसे भी पीजी करना होता है इसलिए बीकॉम चुनना अच्छा ही ऑप्शन है।
कॉमर्स का फॉर्म्युला
फैकल्टी ने सब्जेक्ट की दो लिस्ट सी-1 और सी-2 तैयार की है।
C1 लिस्ट : लिस्ट के पार्ट 1 में लैंग्वेज सब्जेक्ट हिंदी और इंग्लिश का ऑप्शन है। पार्ट 2 में मैथ्स, अकाउंटेंसी, बिजनेस स्टडीज/कॉमर्स और इकनॉमिक्स हैं।
C2 लिस्ट : इस लिस्ट में बॉटनी, जिओग्राफी, जूलॉजी, फिलॉसफी, स्टैटिस्टिक्स, बिजनेस मैथमैटिक्स, फिजिक्स, बायलॉजी, हिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस, केमिस्ट्री, होम साइंस, साइकॉलजी, कंप्यूटर साइंस, लीगल स्टडीज, सोसियॉलजी हैं।
बीकॉम ऑनर्स के लिए बेस्ट फोर के लिए पार्ट 1 से एक लैंग्वेज और पार्ट 2 से तीन सब्जेक्ट चुनने होंगे। अगर स्टूडेंट सी 2 लिस्ट से सब्जेक्ट लेता है, तो हर सब्जेक्ट के लिए 1% मार्क्स कटेंगे। मगर अगर सी 1 लिस्ट के पार्ट 2 और सी 2 लिस्ट के बाहर से सब्जेक्ट चुनता है, तो हर सब्जेक्ट के 2.5% कटेंगे।
डीयू के फॉर्म भरे जा चुके हैं मगर कोर्स को लेकर स्टूडेंट्स की उलझने दूर नहीं हो रहीं। खासतौर पर कॉमर्स को लेकर स्टूडेंट्स हाई कटऑफ के लिए हुए डरे हुए हैं। टीचर्स का कहना है कि अगर कॉमर्स आपकी पसंद है मगर बीकॉम ऑनर्स की हाई कटऑफ आपके स्कोर से मैच नहीं हो रही, तो बीकॉम को अपनाएं। बीकॉम में सीटें भी ज्यादा हैं। साथ ही, अगर ग्रैजुएशन के बाद मैनेजमेंट वगैरह में जाना है तो बीकॉम काफी है।
कॉमर्स के लिए हर साल हजारों स्टूडेंट्स अप्लाई करते हैं और करीब 13 हजार के आसपास ऐडमिशन पाते हैं। दोनों ही कोर्स के लिए स्टूडेंट्स अप्लाई करते हैं। इसके बाद कई स्टूडेंट्स जिन्हें कॉमर्स ऑनर्स में ऐडमिशन नहीं मिल पाता, तो वे बीकॉम में ऐडमिशन लेते हैं। बीकॉम के लिए सीटें भी ज्यादा है। दोनों ही कोर्स में कॉलेज-कॉलेज के हिसाब से 1 से 8 पर्सेंट के बीच अंतर रहता है।
डिमांड में कॉमर्स
बीकॉम ऑनर्स की कटऑफ पिछले कुछ सालों में 95 से 99% के बीच रही है। जो कॉलेज टॉप नहीं माने जाते, वहां भी 90 से 92 की कटऑफ पर आखिरी कटऑफ में स्टूडेंट्स का नंबर आता है। कॉमर्स के दोनों ही कोर्सों की एक एक सीट के लिए फाइट रहती है। पिछले साल यूनिवर्सिटी को बीकॉम के लिए 80000 ऐप्लिकेशन मिली थीं और बीकॉम ऑनर्स के लिए 72996 स्टूडेंट्स ने अप्लाई किया था। नामी कॉलेजों में बीकॉम ऑनर्स और बीकॉम की कटऑफ में 1 से 2% का ही अंतर था।
किनके लिए है बेस्ट
डीयू में कॉमर्स के अंडरग्रैजुएशन लेवल में दो कोर्स हैं- बीकॉम ऑनर्स और बीकॉम। मल्टिनैशनल कंपनियों में भी कॉमर्स स्टूडेंट्स की डिमांड भी बहुत है, साथ ही मैनेजमेंट स्टडीज करनी है उसके बेस के लिए भी स्टूडेंट्स ग्रैजुएशन लेवल में कॉमर्स पढ़ना चाहते हैं। पिछले पांच साल में कॉमर्स के लिए डीयू में ऐप्लिकेशंस की संख्या 60 हजार से 80 हजार के बीच गई है।
क्या है क्राइटेरिया
डीयू में कॉमर्स ऑनर्स के लिए पिछले साल से 12वीं में मैथमैटिक्स कंपल्सरी है। फैकल्टी ऑफ कॉमर्स ऐंड बिजनेस स्टडीज की असोसिएट प्रोफेसर सुनैना कनौजिया कहती हैं, बीकॉम ऑनर्स के करिकुलम में मैथ्स ज्यादा है इसलिए मैथ्स जरूरी है। मगर अगर आपकी मैथ्स नहीं रही है या फिर कटऑफ में नाम नहीं आता है तो बीकॉम पास का ऑप्शन है। डीयू का यह कोर्स भी बढ़िया है और दोनों में मैथ्स के लेवल का ही ज्यादा फर्क है। यह कोर्स भी तकरीबन सभी कॉलेजों में है, सीट भी ज्यादा है। वैसे भी ग्रैजुएशन के बाद ज्यादातर स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन की ओर जाते हैं इसलिए इस कोर्स में ऐडमिशन भी मायने रखता है।
कोर्स स्ट्रक्चर
डीयू के कॉमर्स ऑनर्स के करिकुलम में कॉमर्स के अलावा कोर इकनॉमिक्स की काफी पढ़ाई है, जिससे कि स्टूडेंट हायर स्टडीज के लिए खासतौर पर मैनेजमेंट, फाइनैंस में काफी मदद मिलती हैं। साथ ही, यह डॉमेस्टिक और इंटरनैशनल इकनॉमी के फंडे को कवर करती है। कुछ कॉलेजों ने इस कोर्स में प्रैक्टिकल करिकुलम भी रखा है। वहां स्टूडेंट्स अलग अगल इंडस्ट्री में इंटर्नशिप के लिए भी भेजे जाते हैं। फैकल्टी ऑफ कॉमर्स ऐंड बिजनेस स्टडीज की असोसिएट प्रफेसर सुनैना कनौजिया कहती हैं, बीकॉम ऑनर्स के करिकुलम में मैथ्स ज्यादा है इसलिए मैथ्स जरूरी है। मगर अगर आपकी मैथ्स नहीं रही है या कटऑफ में नाम नहीं आता है तो बीकॉम पास का ऑप्शन है। डीयू का यह कोर्स भी बढ़िया है और दोनों में मैथ्स के लेवल का ही ज्यादा फर्क है। यह कोर्स भी तकरीबन सभी कॉलेजों में है, सीट भी ज्यादा है। यूजी के बाद भी वैसे भी पीजी करना होता है इसलिए बीकॉम चुनना अच्छा ही ऑप्शन है।
कॉमर्स का फॉर्म्युला
फैकल्टी ने सब्जेक्ट की दो लिस्ट सी-1 और सी-2 तैयार की है।
C1 लिस्ट : लिस्ट के पार्ट 1 में लैंग्वेज सब्जेक्ट हिंदी और इंग्लिश का ऑप्शन है। पार्ट 2 में मैथ्स, अकाउंटेंसी, बिजनेस स्टडीज/कॉमर्स और इकनॉमिक्स हैं।
C2 लिस्ट : इस लिस्ट में बॉटनी, जिओग्राफी, जूलॉजी, फिलॉसफी, स्टैटिस्टिक्स, बिजनेस मैथमैटिक्स, फिजिक्स, बायलॉजी, हिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस, केमिस्ट्री, होम साइंस, साइकॉलजी, कंप्यूटर साइंस, लीगल स्टडीज, सोसियॉलजी हैं।
बीकॉम ऑनर्स के लिए बेस्ट फोर के लिए पार्ट 1 से एक लैंग्वेज और पार्ट 2 से तीन सब्जेक्ट चुनने होंगे। अगर स्टूडेंट सी 2 लिस्ट से सब्जेक्ट लेता है, तो हर सब्जेक्ट के लिए 1% मार्क्स कटेंगे। मगर अगर सी 1 लिस्ट के पार्ट 2 और सी 2 लिस्ट के बाहर से सब्जेक्ट चुनता है, तो हर सब्जेक्ट के 2.5% कटेंगे।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com
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