मानस गोहैन, नई दिल्ली
प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे जेईई मेन, नीटयूजी और यूजीसी नेट में अगले साल से बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अगले साल से इन परीक्षाओं के आयोजन की जिम्मेदारी नैशनल टेस्टिंग एजेंसी की होगी जिसके द्वारा पहली आयोजित करवाई जाने वाली परीक्षा दिसंबर 2018 में यूजीसी नेट होगी। दरअसल एनटीए आधुनिक तकनीक जैसे आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, साइकोमीट्रिक अनैलिसिस और कंप्यूटर आधारित अडैप्टिव टेस्टिंग आदि की मदद से परीक्षा के आयोजन के पारंपरिक तरीके को पूरी तरह बदल देना चाहती है।
एनटीए के डायरेक्टर जनरल विनीत जोशी ने बताया, 'यह टेस्ट 100 फीसदी सुरक्षित होगा। उच्च स्तरीय कोड का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि कोई सिस्टम को हैक नहीं कर सके।'
एआई की मदद से तैयार किए जाएंगे जेईई, नीट के सवाल
एनटीए हर साल करीब 1.5 करोड़ कैंडिडेट्स के लिए टेस्ट का आयोजन करेगी। एनटीए के अधिकारियों ने बताया कि टेस्ट का डिजाइन कुछ इस तरह तैयार किया जाएगा कि जब तक छात्र पाठ्यक्रम का गहन अध्ययन नहीं करेंगे, उनको रट्टा मारने और प्राइवेट कोचिंग से कोई फायदा नहीं होगा। एक अधिकारी ने बताया, 'छात्रों की प्रतिभा को परखने के लिए मल्टिपल चॉइस क्वेस्चन होंगे। पहले की तरह किसी खास टेस्ट के लिए कुछ क्वेस्चन पेपर की बजाए हर छात्रों के लिए अलग-अलग क्वेस्चन पेपर तैयार किए जाएंगे जिससे चीटिंग की गुंजाइश नहीं रह जाएगी। सॉफ्टवेयर हर छात्र के लिए अलग-अलग सवाल चुनेगा। ऐसे में वही छात्र कुछ कर पाएंगे जिन्होंने सिलेबस का गहन अध्ययन किया हो।'
सूत्रों का कहना है कि इन कंप्यूटर आधारित टेस्टों से छात्रों को कई लाभ होंगे। परीक्षा के दौरान अगर वह कुछ सवालों को हल करने की कोशिश नहीं करते हैं या फिर बाद में रिव्यू के लिए मार्क कर देते हैं तो बाद में एक क्लिक पर वे सवाल उनके लिए उपलब्ध होंगे। अगर परीक्षा की तिथि किसी छात्र को सूट नहीं करती है तो वह निर्धारित तारीखों में से कोई दूसरी तारीख चुन सकता है। अगर छात्र अपने स्कोर से खुश नहीं है तो तीन महीने के बाद फिर से परीक्षा दे सकता है।
साइकोमीट्रिक अनैलिसिस
एनटीए पिछले सालों की परीक्षाओं का साइकोमीट्रिक अनैलिसिस करवा रही है। इसकी मदद से यह पता लगाया जाएगा कि पिछले साल के कठिन सवालों से छात्रों को भविष्य के कोर्सों जैसे इंजिनियरिंग आदि के लिए तैयार होने में कितनी मदद मिली। इसके अलावा यह देखा जाएगा कि मल्टिपल चॉइस क्वेस्चन से क्या फायदा हुआ। दरअसल मल्टिपल चॉइस क्वेस्चन इस तरह तैयार किए जाते हैं कि वही छात्र इसका सही जवाब दे पाएं जिसने सही से अध्ययन कर रखा हो। रट्टा मारने वाले छात्रों के लिए इनका जवाब देना मुश्किल होता है।
कंप्यूटर आधारित अडैप्टिव टेस्टिंग
कंप्यूटर आधारित अडैप्टिव टेस्टिंग में पिछले जवाबों के मुताबिक अगला सवाल कठिन या आसान होता है। जैसे अगर किसी छात्र ने शुरू में कुछ सवालों का ठीक-ठीक जवाब दिया तो अगले सवाल उससे थोड़े मुश्किल होंगे और अगर शुरू में गलत जवाब दिया तो अगले सवाल थोड़े आसान पूछे जाएंगे।
खास बातें
1. एनटीए पिछले सालों के पेपरों का विश्लेषण करवा रही है ताकि पता चले कि टेस्ट से छात्रों को भविष्य के कोर्स जैसे इंजिनियरिंग आदि के लिए तैयार होने में कितनी मदद मिली।
2. विश्लेषण के परिणाम के आधार पर क्वेस्चन सेट करने वालों का साइकोमीट्रिक टेस्ट होगा।
3. क्वेस्चन सेट करने का काम साल भर चलेगा।
4. परीक्षा यूजर यानी संस्थानों या नियोक्ता कंपनियों की जरूरतों के मुताबिक होगी।
5. सिस्टम को हैकप्रूफ बनाने के लिए उच्च स्तरीय कोड का इस्तेमाल किया जाएगा।
6. पिछले जवाबों के मुताबिक छात्र से मुश्किल या आसान सवाल पूछे जाएंगे।
7. सॉफ्टवेयर खुद से हर छात्रों के लिए अलग-अलग सवाल चुनेगा। ऐसे में चीटिंग की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।
8. छात्र जिन सवालों को हल करने की कोशिश नहीं करेंगे या बाद में रिव्यू के लिए मार्क कर देंगे, एक क्लिक पर बाद में वे सवाल उनको उपलब्ध होंगे।
9. छात्र परीक्षा की निर्धारित कई तारीखों में से अपनी सहूलियत के मुताबिक कोई एक तारीख चुन सकेंगे।
प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे जेईई मेन, नीटयूजी और यूजीसी नेट में अगले साल से बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अगले साल से इन परीक्षाओं के आयोजन की जिम्मेदारी नैशनल टेस्टिंग एजेंसी की होगी जिसके द्वारा पहली आयोजित करवाई जाने वाली परीक्षा दिसंबर 2018 में यूजीसी नेट होगी। दरअसल एनटीए आधुनिक तकनीक जैसे आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, साइकोमीट्रिक अनैलिसिस और कंप्यूटर आधारित अडैप्टिव टेस्टिंग आदि की मदद से परीक्षा के आयोजन के पारंपरिक तरीके को पूरी तरह बदल देना चाहती है।
एनटीए के डायरेक्टर जनरल विनीत जोशी ने बताया, 'यह टेस्ट 100 फीसदी सुरक्षित होगा। उच्च स्तरीय कोड का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि कोई सिस्टम को हैक नहीं कर सके।'
एआई की मदद से तैयार किए जाएंगे जेईई, नीट के सवाल
एनटीए हर साल करीब 1.5 करोड़ कैंडिडेट्स के लिए टेस्ट का आयोजन करेगी। एनटीए के अधिकारियों ने बताया कि टेस्ट का डिजाइन कुछ इस तरह तैयार किया जाएगा कि जब तक छात्र पाठ्यक्रम का गहन अध्ययन नहीं करेंगे, उनको रट्टा मारने और प्राइवेट कोचिंग से कोई फायदा नहीं होगा। एक अधिकारी ने बताया, 'छात्रों की प्रतिभा को परखने के लिए मल्टिपल चॉइस क्वेस्चन होंगे। पहले की तरह किसी खास टेस्ट के लिए कुछ क्वेस्चन पेपर की बजाए हर छात्रों के लिए अलग-अलग क्वेस्चन पेपर तैयार किए जाएंगे जिससे चीटिंग की गुंजाइश नहीं रह जाएगी। सॉफ्टवेयर हर छात्र के लिए अलग-अलग सवाल चुनेगा। ऐसे में वही छात्र कुछ कर पाएंगे जिन्होंने सिलेबस का गहन अध्ययन किया हो।'
सूत्रों का कहना है कि इन कंप्यूटर आधारित टेस्टों से छात्रों को कई लाभ होंगे। परीक्षा के दौरान अगर वह कुछ सवालों को हल करने की कोशिश नहीं करते हैं या फिर बाद में रिव्यू के लिए मार्क कर देते हैं तो बाद में एक क्लिक पर वे सवाल उनके लिए उपलब्ध होंगे। अगर परीक्षा की तिथि किसी छात्र को सूट नहीं करती है तो वह निर्धारित तारीखों में से कोई दूसरी तारीख चुन सकता है। अगर छात्र अपने स्कोर से खुश नहीं है तो तीन महीने के बाद फिर से परीक्षा दे सकता है।
साइकोमीट्रिक अनैलिसिस
एनटीए पिछले सालों की परीक्षाओं का साइकोमीट्रिक अनैलिसिस करवा रही है। इसकी मदद से यह पता लगाया जाएगा कि पिछले साल के कठिन सवालों से छात्रों को भविष्य के कोर्सों जैसे इंजिनियरिंग आदि के लिए तैयार होने में कितनी मदद मिली। इसके अलावा यह देखा जाएगा कि मल्टिपल चॉइस क्वेस्चन से क्या फायदा हुआ। दरअसल मल्टिपल चॉइस क्वेस्चन इस तरह तैयार किए जाते हैं कि वही छात्र इसका सही जवाब दे पाएं जिसने सही से अध्ययन कर रखा हो। रट्टा मारने वाले छात्रों के लिए इनका जवाब देना मुश्किल होता है।
कंप्यूटर आधारित अडैप्टिव टेस्टिंग
कंप्यूटर आधारित अडैप्टिव टेस्टिंग में पिछले जवाबों के मुताबिक अगला सवाल कठिन या आसान होता है। जैसे अगर किसी छात्र ने शुरू में कुछ सवालों का ठीक-ठीक जवाब दिया तो अगले सवाल उससे थोड़े मुश्किल होंगे और अगर शुरू में गलत जवाब दिया तो अगले सवाल थोड़े आसान पूछे जाएंगे।
खास बातें
1. एनटीए पिछले सालों के पेपरों का विश्लेषण करवा रही है ताकि पता चले कि टेस्ट से छात्रों को भविष्य के कोर्स जैसे इंजिनियरिंग आदि के लिए तैयार होने में कितनी मदद मिली।
2. विश्लेषण के परिणाम के आधार पर क्वेस्चन सेट करने वालों का साइकोमीट्रिक टेस्ट होगा।
3. क्वेस्चन सेट करने का काम साल भर चलेगा।
4. परीक्षा यूजर यानी संस्थानों या नियोक्ता कंपनियों की जरूरतों के मुताबिक होगी।
5. सिस्टम को हैकप्रूफ बनाने के लिए उच्च स्तरीय कोड का इस्तेमाल किया जाएगा।
6. पिछले जवाबों के मुताबिक छात्र से मुश्किल या आसान सवाल पूछे जाएंगे।
7. सॉफ्टवेयर खुद से हर छात्रों के लिए अलग-अलग सवाल चुनेगा। ऐसे में चीटिंग की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।
8. छात्र जिन सवालों को हल करने की कोशिश नहीं करेंगे या बाद में रिव्यू के लिए मार्क कर देंगे, एक क्लिक पर बाद में वे सवाल उनको उपलब्ध होंगे।
9. छात्र परीक्षा की निर्धारित कई तारीखों में से अपनी सहूलियत के मुताबिक कोई एक तारीख चुन सकेंगे।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com
No comments:
Post a Comment