आजाद भारत में तिरंगे का एक खास मुकाम है और तिरंगे के इतिहास में 26 जनवरी, 2002 का अपना अलग स्थान है। यही वह दिन है जब भारत के आम नागरिकों को भी अपनी मर्जी के हिसाब से किसी भी दिन झंडा फहराने की अनुमति मिली। ऐसी बात नहीं है कि उनको इससे पहले झंडा फहराने का अधिकार नहीं था। अधिकार तो था लेकिन सिर्फ कुछ खास राष्ट्रीय दिवसों जैसे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने का। 26 जनवरी, 2002 को इंडियन फ्लैग कोड में संशोधन किया गया और आम नागरिकों को कहीं भी कभी भी गर्व के साथ राष्ट्रीय झंडा फहराने का मौका मिला। अब वे गर्व के साथ अपने घरों, कार्यालयों और फैक्ट्रियों में झंडा फहरा सकते हैं।
फ्लैग कोड को जानें
इंडियन फ्लैग कोड को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहले हिस्से में राष्ट्रीय ध्वज के आकार और निर्माण के बारे में नियमों का उल्लेख है।
दूसरे हिस्से में आम लोग, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्थानों द्वारा झंडा फहराने और रखरखाव आदि से संबंधित नियमों का उल्लेख है।
तीसरे हिस्से में केंद्र एवं राज्य सरकार और उनके संगठन एवं एजेंसियों द्वारा झंडा फहराने एवं इसके रखरखाव से जुड़े नियमों का उल्लेख किया गया है।
राष्ट्रीय ध्वज के अनादर पर सजा
झंडे का किसी तरह से अनादर करने की स्थिति में प्रीवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नैशनल ओनर ऐक्ट, 1971 (Prevention of Insults to National Honour Act, 1971) के तहत सजा का प्रावधान है। इस कानून में 2003 में संशोधन किया गया। इसके तहत पहली बार जुर्म करने पर 3 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। दोबारा जुर्म करने पर कम से कम एक साल सजा का प्रावधान है।
अब रात में भी फहरा सकते हैं झंडा
भारतीय नागरिक अब रात में भी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहरा सकते हैं। इसके लिए शर्त होगी कि झंडे का पोल वास्तव में लंबा हो और झंडा खुद भी चमके। गृह मंत्रालय ने उद्योगपति सांसद नवीन जिंदल द्वारा इस संबंध में रखे गए प्रस्ताव के बाद यह फैसला किया। इससे पहले जिंदल ने हर नागरिक के मूलभूत अधिकार के तौर पर तिरंगा फहराने के लिहाज से अदालती लड़ाई जीती थी। कांग्रेस नेता जिंदल को दिए गए संदेश में मंत्रालय ने कहा कि प्रस्ताव की पड़ताल की गई है और कई स्थानों पर दिन और रात में राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के लिए झंडे के बड़े पोल लगाने पर कोई आपत्ति नहीं है। जिंदल ने जून 2009 में मंत्रालय को दिए गए प्रस्ताव में बड़े आकार के राष्ट्रीय ध्वज को स्मारकों के पोलों पर रात में भी फहराए जाने की अनुमति मांगी थी। जिंदल ने कहा था कि भारत की झंडा संहिता के आधार पर राष्ट्रीय ध्वज जहां तक संभव है सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच फहराया जाना चाहिए, लेकिन दुनियाभर में यह सामान्य है कि बड़े राष्ट्रीय ध्वज 100 फुट या इससे उंचे पोल पर स्मारकों पर दिन और रात फहराए गए होते हैं।
फ्लैग कोड को जानें
इंडियन फ्लैग कोड को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहले हिस्से में राष्ट्रीय ध्वज के आकार और निर्माण के बारे में नियमों का उल्लेख है।
दूसरे हिस्से में आम लोग, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्थानों द्वारा झंडा फहराने और रखरखाव आदि से संबंधित नियमों का उल्लेख है।
तीसरे हिस्से में केंद्र एवं राज्य सरकार और उनके संगठन एवं एजेंसियों द्वारा झंडा फहराने एवं इसके रखरखाव से जुड़े नियमों का उल्लेख किया गया है।
राष्ट्रीय ध्वज के अनादर पर सजा
झंडे का किसी तरह से अनादर करने की स्थिति में प्रीवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नैशनल ओनर ऐक्ट, 1971 (Prevention of Insults to National Honour Act, 1971) के तहत सजा का प्रावधान है। इस कानून में 2003 में संशोधन किया गया। इसके तहत पहली बार जुर्म करने पर 3 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। दोबारा जुर्म करने पर कम से कम एक साल सजा का प्रावधान है।
अब रात में भी फहरा सकते हैं झंडा
भारतीय नागरिक अब रात में भी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहरा सकते हैं। इसके लिए शर्त होगी कि झंडे का पोल वास्तव में लंबा हो और झंडा खुद भी चमके। गृह मंत्रालय ने उद्योगपति सांसद नवीन जिंदल द्वारा इस संबंध में रखे गए प्रस्ताव के बाद यह फैसला किया। इससे पहले जिंदल ने हर नागरिक के मूलभूत अधिकार के तौर पर तिरंगा फहराने के लिहाज से अदालती लड़ाई जीती थी। कांग्रेस नेता जिंदल को दिए गए संदेश में मंत्रालय ने कहा कि प्रस्ताव की पड़ताल की गई है और कई स्थानों पर दिन और रात में राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के लिए झंडे के बड़े पोल लगाने पर कोई आपत्ति नहीं है। जिंदल ने जून 2009 में मंत्रालय को दिए गए प्रस्ताव में बड़े आकार के राष्ट्रीय ध्वज को स्मारकों के पोलों पर रात में भी फहराए जाने की अनुमति मांगी थी। जिंदल ने कहा था कि भारत की झंडा संहिता के आधार पर राष्ट्रीय ध्वज जहां तक संभव है सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच फहराया जाना चाहिए, लेकिन दुनियाभर में यह सामान्य है कि बड़े राष्ट्रीय ध्वज 100 फुट या इससे उंचे पोल पर स्मारकों पर दिन और रात फहराए गए होते हैं।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com
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