सांकेतिक तस्वीर
कृतिका शर्मा/मोहम्मद इबरार, नई दिल्ली
दिल्ली यूनिवर्सिटी में एलएलबी कोर्स के लिए आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा में चीटिंग इतनी बड़ी समस्या बन चुकी है कि इस साल से एग्जाम हॉल में फोन जैमर्स लगाने को मजबूर होना पड़ा। दरअसल पिछले साल यूनिवर्सिटी की ओर से बड़े पैमाने पर नकल को लेकर आठ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसीलिए इस साल नकल को रोकने के लिए अथॉरिटीज ने फोन जैमर्स की मदद ली। इसके अलावा इस साल भी अथॉरिटीज ने छात्रों को एग्जाम के समाप्त होने पर रिस्पॉन्स शीट मुहैया कराई। ऑनलाइन टेस्ट्स में छात्रों ने जो जवाब लिखा था, रिस्पॉन्स शीट पर वे जवाब दर्ज थे। ऐसा इसलिए किया गया ताकि छात्र यह दावा नहीं कर सकें कि उनलोगों तो सही आंसर लिखा था लेकिन तकनीकी समस्या के कारण गड़बड़ी हो गई। देश भर के 89 परीक्षा केंद्रों पर विशेष पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया गया था।
यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने बताया कि फोन जैमर्स भारत सरकार द्वारा मंजूरी प्राप्त एक कंपनी से लिया गया था। एक अधिकारी ने बताया, 'हमने पहले से इसका प्रचार नहीं किया था क्योंकि इससे हमारी कोशिश विफल हो जाती। किसी को बताए बगैर हमने सभी उपाय की योजना बना ली थी और परीक्षा से पहले ही उसका परीक्षण भी कर लिया था।'
वॉट्सऐप की मदद से यूं हुई थी चीटिंग
पिछले साल के चीटिंग के मामलों की जांच में पता चला कि छात्रों ने वॉट्सऐप का इस्तेमाल किया था। वॉट्सऐप की मदद से वे लोग एग्जाम सेंटर के बाहर बैठे लोगों के संपर्क में थे जो उनलोगों को सही जवाब बता रहे थे। डीयू की लॉ फैकल्टी के एक छात्र ने टीओआई को बताया कि छात्रों से 50 हजार रुपये से 1 लाख रुपये मांगा गया था। छात्रों को आश्वासन दिया गया था कि परीक्षा उत्तीर्ण होने में उनकी पूरी मदद की जाएगी।
चीटिंग रोकने में जैमर काफी सफल
इस साल जैमर के इस्तेमाल से चीटिंग को रोकने में काफी सफलता मिली। डीयू के डीन ऑफ एग्जामिनेशंस विनय गुप्ता ने बताया, 'यह हमारे लिए एक चुनौती थी लेकिन हमने तकनीक का इस्तेमाल किया और सिस्टम में पारदर्शिता लाए।' गुप्ता ने बताया कि जैमर्स के अलावा परीक्षा केंद्रों पर स्थानीय लेक्चरों को पर्यवेक्षक के तौर पर तैनात किया गया था।
स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग एंट्रेस एग्जाम के लिए डीयू ने परीक्षा का स्थान भी बदल दिया था। पहले जहां सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में सेंटर पड़ता था इस साल डीयू ने यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में ही परीक्षा का आयोजन करवाया। इससे परीक्षा की पूरी कार्यवाही यूनिवर्सिटी के स्थायी प्रफेसरों की निगरानी में पूरी हुई।
विभाग के अधिकारियों ने बताया कि साल 2019 से यूनिवर्सिटी चीटिंग को रोकने के लिए सुरक्षा के अन्य उपायों का इस्तेमाल करेगी लेकिन डीटेल्स का खुलासा करने से इनकार किया।
दिल्ली यूनिवर्सिटी में एलएलबी कोर्स के लिए आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा में चीटिंग इतनी बड़ी समस्या बन चुकी है कि इस साल से एग्जाम हॉल में फोन जैमर्स लगाने को मजबूर होना पड़ा। दरअसल पिछले साल यूनिवर्सिटी की ओर से बड़े पैमाने पर नकल को लेकर आठ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसीलिए इस साल नकल को रोकने के लिए अथॉरिटीज ने फोन जैमर्स की मदद ली। इसके अलावा इस साल भी अथॉरिटीज ने छात्रों को एग्जाम के समाप्त होने पर रिस्पॉन्स शीट मुहैया कराई। ऑनलाइन टेस्ट्स में छात्रों ने जो जवाब लिखा था, रिस्पॉन्स शीट पर वे जवाब दर्ज थे। ऐसा इसलिए किया गया ताकि छात्र यह दावा नहीं कर सकें कि उनलोगों तो सही आंसर लिखा था लेकिन तकनीकी समस्या के कारण गड़बड़ी हो गई। देश भर के 89 परीक्षा केंद्रों पर विशेष पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया गया था।
यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने बताया कि फोन जैमर्स भारत सरकार द्वारा मंजूरी प्राप्त एक कंपनी से लिया गया था। एक अधिकारी ने बताया, 'हमने पहले से इसका प्रचार नहीं किया था क्योंकि इससे हमारी कोशिश विफल हो जाती। किसी को बताए बगैर हमने सभी उपाय की योजना बना ली थी और परीक्षा से पहले ही उसका परीक्षण भी कर लिया था।'
वॉट्सऐप की मदद से यूं हुई थी चीटिंग
पिछले साल के चीटिंग के मामलों की जांच में पता चला कि छात्रों ने वॉट्सऐप का इस्तेमाल किया था। वॉट्सऐप की मदद से वे लोग एग्जाम सेंटर के बाहर बैठे लोगों के संपर्क में थे जो उनलोगों को सही जवाब बता रहे थे। डीयू की लॉ फैकल्टी के एक छात्र ने टीओआई को बताया कि छात्रों से 50 हजार रुपये से 1 लाख रुपये मांगा गया था। छात्रों को आश्वासन दिया गया था कि परीक्षा उत्तीर्ण होने में उनकी पूरी मदद की जाएगी।
चीटिंग रोकने में जैमर काफी सफल
इस साल जैमर के इस्तेमाल से चीटिंग को रोकने में काफी सफलता मिली। डीयू के डीन ऑफ एग्जामिनेशंस विनय गुप्ता ने बताया, 'यह हमारे लिए एक चुनौती थी लेकिन हमने तकनीक का इस्तेमाल किया और सिस्टम में पारदर्शिता लाए।' गुप्ता ने बताया कि जैमर्स के अलावा परीक्षा केंद्रों पर स्थानीय लेक्चरों को पर्यवेक्षक के तौर पर तैनात किया गया था।
स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग एंट्रेस एग्जाम के लिए डीयू ने परीक्षा का स्थान भी बदल दिया था। पहले जहां सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में सेंटर पड़ता था इस साल डीयू ने यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में ही परीक्षा का आयोजन करवाया। इससे परीक्षा की पूरी कार्यवाही यूनिवर्सिटी के स्थायी प्रफेसरों की निगरानी में पूरी हुई।
विभाग के अधिकारियों ने बताया कि साल 2019 से यूनिवर्सिटी चीटिंग को रोकने के लिए सुरक्षा के अन्य उपायों का इस्तेमाल करेगी लेकिन डीटेल्स का खुलासा करने से इनकार किया।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com
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