अमेरिकी सेटेलाइट को ऐसे दिया गया चकमा
वाजपेयी सरकार को इस बात का अंदाजा था कि अमेरिका को इस परमाणु परीक्षण की जरा सी भी भनक लग गई तो विश्व के सर्वाधकि शक्तिशाली देश से कई तरह के दबाव भारत पर आ जाएंगे। अमेरिका को भनक न लगने पाए इसके लिए परीण से जुड़े इंजिनियर्स को भी सेना की वर्दी में वहां भेजा गया था। ताकि लगे सेना की सामान्य कार्रवाई चल रही है। यहां तक कि इस मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों को भी सीधे पोखरण नहीं भेजा गया। पहले वह देश के अन्य शहरों में गए और फिर पोखरण पहुंचे। ताकि अमेरिका के जासूसी सेटेलाइट को इस बात का पता न लग सके।
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भारतीय सेना की 58वीं इंजिनियर रेजिमेंट को सौंपा गया ये जिम्मा
भारतीय सेना की 58वीं इंजिनियर रेजिमेंट को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई। यह रेजिमेंट 1995 से ही इस मिशन में जुटी थी कि कैसे अमेरिकी सेटेलाइट को चकमा दिया जा सके।
बिल क्लिंटन को लिखा पत्र
परीक्षण के तुरंत बाद वाजपेयी ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को पत्र लिखकर भारत के परमाणु परीक्षण और उसकी अनिवार्यता के बारे में अवगत कराया।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com
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