पिछले दिनों खबर आई थी कि इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के बिजनस स्कूलों में फीमेल स्टूडेंट्स की ऐडमिशन में काफी कमी आई है। कोझिकोड स्थित आईआईएम के अलावा अन्य कई संस्थानों में फीमेल स्टूडेंट्स के नंबर में काफी गिरावट दिखी, लेकिन अब कैंपस में जेंडर डायवर्सिटी को सुधारने के लिए आईआईएम-कोझिकोड ने अपने अगले सत्र के पोस्ट-ग्रैजुएट प्रोग्राम के लिए 60 अडिशनल सीटें और देने का फैसला किया है। ये सीटें सिर्फ फीमेल स्टूडेंट्स के लिए ही होंगी।
सीटों की घोषणा मंगलवाव को आईआईएम-कोझिकोड के 23वें फाउंडेशन डे के मौक पर की गई। आईआईएम-कोझिकोड के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि इन सीटों के लिए फीमेल स्टूडेंट्स का चयन एक अलग ऐप्लिकेशन और सिलेक्शन प्रोसेस के ज़रिए किया जाएगा, ताकि उन कैंडिडेट्स को तलाशा जा सके, जिनमें कुछ कर गुजरने की संभावना है।
आईआईएम-कोझिकोड के प्रोफेसर देबाशीष चटर्जी ने कहा कि यह फैसला महिला कैंडिडेट्स के लीडरशिप रोल औक अन्य क्षेत्रों में उनकी भागीदारी को बढ़ाने के मकसद से किया गया है और ऐसा करके आईआईएम-कोझिकोड ने अपनी लेगेसी बरकरार रखी है।
इससे पहले आईआईएम-कोझिकोड ने अपने ऐकडेमिक प्रोग्रामों में फीमेल स्टूडेंट्स की भागीदारी को बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया था। 2010 के बैच के दौरान फीमेल स्टूडेंट्स की ऐडमिशन में 30 पर्सेंट की बढ़ोतरी देखी गई और यह बढ़ोतरी 2013 के दौरान 54 पर्सेंट तक पहुंच गई थी।
अन्य आईआईएम संस्थाओं ने भी इसी पॉलिसी को फॉलो किया जिसकी वजह से फीमेल को राष्ट्रीय संस्थानों में और मौके मिले। हालांकि समाज के जो सुविधाहीन तबके हैं, उन्हें लेकर आईआईएस-कोझिकोड ने कोई बदलाव नहीं किया है।
सीटों की घोषणा मंगलवाव को आईआईएम-कोझिकोड के 23वें फाउंडेशन डे के मौक पर की गई। आईआईएम-कोझिकोड के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि इन सीटों के लिए फीमेल स्टूडेंट्स का चयन एक अलग ऐप्लिकेशन और सिलेक्शन प्रोसेस के ज़रिए किया जाएगा, ताकि उन कैंडिडेट्स को तलाशा जा सके, जिनमें कुछ कर गुजरने की संभावना है।
आईआईएम-कोझिकोड के प्रोफेसर देबाशीष चटर्जी ने कहा कि यह फैसला महिला कैंडिडेट्स के लीडरशिप रोल औक अन्य क्षेत्रों में उनकी भागीदारी को बढ़ाने के मकसद से किया गया है और ऐसा करके आईआईएम-कोझिकोड ने अपनी लेगेसी बरकरार रखी है।
इससे पहले आईआईएम-कोझिकोड ने अपने ऐकडेमिक प्रोग्रामों में फीमेल स्टूडेंट्स की भागीदारी को बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया था। 2010 के बैच के दौरान फीमेल स्टूडेंट्स की ऐडमिशन में 30 पर्सेंट की बढ़ोतरी देखी गई और यह बढ़ोतरी 2013 के दौरान 54 पर्सेंट तक पहुंच गई थी।
अन्य आईआईएम संस्थाओं ने भी इसी पॉलिसी को फॉलो किया जिसकी वजह से फीमेल को राष्ट्रीय संस्थानों में और मौके मिले। हालांकि समाज के जो सुविधाहीन तबके हैं, उन्हें लेकर आईआईएस-कोझिकोड ने कोई बदलाव नहीं किया है।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com
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