नई दिल्ली
आपने कई बार ऐसी खबरें पढ़ी होंगी या विडियोज देखे होंगे जिनमें बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों की नॉलेज की पोल खुली हो। भारत में शिक्षा के स्तर को बेहतर करने की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर हो जब उनमें से ही कई शिक्षकों को बेसिक नॉलेज न हो तो यह चिंता का विषय है।
ब्रेस्टफीडिंग से लेकर केले तक, ये अजीबोगरीब फतवे कभी सुने हैं आपने?
भारत में शिक्षा के स्तर पर एक हालिया रिपोर्ट में भी यह चिंता देखी जा सकती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले केवल एक चौथाई यानी 25 पर्सेंट बच्चे ही सामान्य वाक्यों वाली छोटी कहानी पढ़ और समझ पाते हैं तथा दो अंकों के घटाव के सवालों का हल कर पाते हैं। इस रिपोर्ट को ‘बिल ऐंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ ने तैयार किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार के अपने राष्ट्रीय आकलन सर्वे में भी यह पता चला है कि इस तरह के बच्चों की बड़ी तादाद है, जिनमें सीखने का स्तर बेहद कम है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले केवल एक चौथाई बच्चे ही सामान्य वाक्यों वाली छोटी कहानी को पढ़ और समझ पाते हैं तथा एक या दो अंकों के घटाव के सवालों का हल कर पाते हैं।’’
रिपोर्ट में वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट 2017 के आंकड़ों का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि इस समस्या के सामने आने के बाद भारत और अन्य देशों में इस पर ध्यान दिया जाने लगा है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अलावा दिल्ली और राजस्थान की सरकारें इसमें सुधार करने की व्यवस्था कर रही हैं।
भारत में नेता इस मुद्दे को एजेंडे में रख रहे हैं। विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट 2018 में शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
(भाषा से इनपुट पर आधारित)
आपने कई बार ऐसी खबरें पढ़ी होंगी या विडियोज देखे होंगे जिनमें बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों की नॉलेज की पोल खुली हो। भारत में शिक्षा के स्तर को बेहतर करने की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर हो जब उनमें से ही कई शिक्षकों को बेसिक नॉलेज न हो तो यह चिंता का विषय है।
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भारत में शिक्षा के स्तर पर एक हालिया रिपोर्ट में भी यह चिंता देखी जा सकती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले केवल एक चौथाई यानी 25 पर्सेंट बच्चे ही सामान्य वाक्यों वाली छोटी कहानी पढ़ और समझ पाते हैं तथा दो अंकों के घटाव के सवालों का हल कर पाते हैं। इस रिपोर्ट को ‘बिल ऐंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ ने तैयार किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार के अपने राष्ट्रीय आकलन सर्वे में भी यह पता चला है कि इस तरह के बच्चों की बड़ी तादाद है, जिनमें सीखने का स्तर बेहद कम है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले केवल एक चौथाई बच्चे ही सामान्य वाक्यों वाली छोटी कहानी को पढ़ और समझ पाते हैं तथा एक या दो अंकों के घटाव के सवालों का हल कर पाते हैं।’’
रिपोर्ट में वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट 2017 के आंकड़ों का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि इस समस्या के सामने आने के बाद भारत और अन्य देशों में इस पर ध्यान दिया जाने लगा है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अलावा दिल्ली और राजस्थान की सरकारें इसमें सुधार करने की व्यवस्था कर रही हैं।
भारत में नेता इस मुद्दे को एजेंडे में रख रहे हैं। विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट 2018 में शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
(भाषा से इनपुट पर आधारित)
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com
Very nice article, keep up the good work. Please keep posting articles like this, it was very helpful.
ReplyDeleteYou can find more information regarding govt Jobs at sarkari naukri