नई दिल्ली
आज इंजिनियरिंग दिवस है। अलग-अलग देशों में अलग-अलग दिन इंजिनियरिंग दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर Google ने भारत के महान इंजिनियर डॉ. एम. विश्वेश्वरैया पर एक डूडल बनाकर उन्हें याद किया। बता दें कि उन्हीं की याद में हर साल 15 सितंबर को इंजिनियरिंग दिवस मनाया जाता है। एम. विश्वेश्वरैया का पूरा नाम मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया था। वह एक उम्दा इंजिनियर थे और उनकी जैसी कला किसी के भी पास नहीं थी। उन्होंने दक्षिण भारत के मैसूर, कर्नाटक को एक विकसित और समृद्धशाली क्षेत्र बनाने में बड़ा योगदान दिया।
जब देश आजाद नहीं था, तब एम. विश्वेश्वरैया ने कृष्णराजसागर बांध, भद्रावती आयरन ऐंड स्टील वर्क्स, मैसूर संदल ऑयल ऐंड सोप फैक्टरी, मैसूर विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ मैसूर समेत अन्य कई महान उपलब्धियों में एम. विश्वेश्वरैया ने अभूतपूर्व योगदान दिया। उनकी इन्हीं उपलब्धियों और टैलंट की वजह से एम. विश्वेश्वरैया को 'कर्नाटक का भागीरथ' भी कहा जाता था।
एम. विश्वेश्वरैया व्यवसाय को देश की जान मानते थे, इसीलिए उन्होंने पहले से मौजूद व्यवसायों को जापान और इटली के विशेषज्ञों की मदद से और अधिक विकसित किया। उड़ीसा की नदियों में आने वाली बाढ़ के आधार पर उन्होंने जो एक रिपोर्ट पेश की थी, उसी के आधार पर हीराकुंड जैसे कई बांधों का निर्माण किया गया। एम. विश्वेश्वरैया ने ही मैसूर में लड़कियों के लिए अलग से हॉस्टल और पहला फर्स्ट ग्रेड कॉलेज यानी महारानी कॉलेज खुलवाया था।
आज इंजिनियरिंग दिवस है। अलग-अलग देशों में अलग-अलग दिन इंजिनियरिंग दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर Google ने भारत के महान इंजिनियर डॉ. एम. विश्वेश्वरैया पर एक डूडल बनाकर उन्हें याद किया। बता दें कि उन्हीं की याद में हर साल 15 सितंबर को इंजिनियरिंग दिवस मनाया जाता है। एम. विश्वेश्वरैया का पूरा नाम मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया था। वह एक उम्दा इंजिनियर थे और उनकी जैसी कला किसी के भी पास नहीं थी। उन्होंने दक्षिण भारत के मैसूर, कर्नाटक को एक विकसित और समृद्धशाली क्षेत्र बनाने में बड़ा योगदान दिया।
जब देश आजाद नहीं था, तब एम. विश्वेश्वरैया ने कृष्णराजसागर बांध, भद्रावती आयरन ऐंड स्टील वर्क्स, मैसूर संदल ऑयल ऐंड सोप फैक्टरी, मैसूर विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ मैसूर समेत अन्य कई महान उपलब्धियों में एम. विश्वेश्वरैया ने अभूतपूर्व योगदान दिया। उनकी इन्हीं उपलब्धियों और टैलंट की वजह से एम. विश्वेश्वरैया को 'कर्नाटक का भागीरथ' भी कहा जाता था।
एम. विश्वेश्वरैया व्यवसाय को देश की जान मानते थे, इसीलिए उन्होंने पहले से मौजूद व्यवसायों को जापान और इटली के विशेषज्ञों की मदद से और अधिक विकसित किया। उड़ीसा की नदियों में आने वाली बाढ़ के आधार पर उन्होंने जो एक रिपोर्ट पेश की थी, उसी के आधार पर हीराकुंड जैसे कई बांधों का निर्माण किया गया। एम. विश्वेश्वरैया ने ही मैसूर में लड़कियों के लिए अलग से हॉस्टल और पहला फर्स्ट ग्रेड कॉलेज यानी महारानी कॉलेज खुलवाया था।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com
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