नई दिल्ली:
Facebook ने बताया है कि उसने ऐसे फेक अकाउंट्स को डिलीट किया है जो ईरान से ऑपरेट किए जा रहे थे और उनके 10 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स थे। बड़ी संख्या इनके फॉलोवर्स यूएस और ब्रिटेन के नागरिक थे। एक ब्लॉग पोस्ट में कंपनी ने बताया कि फेसबुक और इंस्टाग्राम से ऐसे 82 पेजों, ग्रुप्स और अकाउन्ट्स को भी हटाया गया है जिसके यूजर्स खुद के अमेरिकी या ब्रिटिश नागरिक होने का दावा कर रहे थे।
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इन पेजों पर रंगभेद संबंधी टिप्पणियां, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के खिलाफ लेख जैसी बाते और कॉन्टेंट शेयर किए जा रहे थे। कुल हटाए गए अकाउंट्स की संख्या 10 लाख से ज्यादा बताई जा रही है। फेसबुक ने ऐसा दावा किया है कि ये अकाउंट्स ईरान से चलाए जा रहे थे। इन अकाउंट्स और पेजों का संबंध ईरान की सरकार से है या नहीं, अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। इन अकाउंट्स को डिलीट करने की सूचना फेसबुक ने कई रिसर्चर्स, टेक कंपनियों और अमेरिका व ब्रिटेन की सरकारों से भी शेयर की है। फेसबुक, ट्विटर और अल्फाबेट ने ऐसी कार्रवाई ईरान के प्रोपेगैंडा को रोकने के लिए की हैं।
बता दें कि इससे पहले सोशल मीडिया कंपनियों की इस बात के लिए काफी आलोचना की जा रही थी कि वे अपने प्लैटफॉर्म्स से गलत सूचना वाली पोस्ट्स शेयर करने वाले अकाउंट्स पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। ऐसा भी दावा किया गया था कि 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति पद के नतीजे को प्रभावित करने के लिए रूस ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स के जरिए हस्तक्षेप किया था और सोशल मीडिया कंपनियों ने इन प्रयासों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए थे। हालांकि ईरान और रूस ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर इस तरह के किसी भी प्रकार के कैंपेन चलाए जाने से हमेशा इनकार किया है।
Facebook ने बताया है कि उसने ऐसे फेक अकाउंट्स को डिलीट किया है जो ईरान से ऑपरेट किए जा रहे थे और उनके 10 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स थे। बड़ी संख्या इनके फॉलोवर्स यूएस और ब्रिटेन के नागरिक थे। एक ब्लॉग पोस्ट में कंपनी ने बताया कि फेसबुक और इंस्टाग्राम से ऐसे 82 पेजों, ग्रुप्स और अकाउन्ट्स को भी हटाया गया है जिसके यूजर्स खुद के अमेरिकी या ब्रिटिश नागरिक होने का दावा कर रहे थे।
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बता दें कि इससे पहले सोशल मीडिया कंपनियों की इस बात के लिए काफी आलोचना की जा रही थी कि वे अपने प्लैटफॉर्म्स से गलत सूचना वाली पोस्ट्स शेयर करने वाले अकाउंट्स पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। ऐसा भी दावा किया गया था कि 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति पद के नतीजे को प्रभावित करने के लिए रूस ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स के जरिए हस्तक्षेप किया था और सोशल मीडिया कंपनियों ने इन प्रयासों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए थे। हालांकि ईरान और रूस ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर इस तरह के किसी भी प्रकार के कैंपेन चलाए जाने से हमेशा इनकार किया है।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com
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