नई दिल्ली
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि इंडस्ट्रीज के लिए जरूरी मैनपावर और उपलब्ध टैलंट एक-दूसरे से मेल नहीं खा रहा है। उन्होंने शनिवार को वर्ल्ड क्लास एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन्स और इनोवेशन्स पर जोर देने की बात कही।
एक ग्रैजुएशन सेरिमनी में बोलते हुए मुखर्जी ने कहा कि जिस वक्त वह राष्ट्रपति थे, उस समय उन्हें यह जानकर निराशा हुई कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा दी जाने वाली रेटिंग में भारत की करीब 763 स्टेट और सेंट्रल यूनिवर्सिटीज, 38 हजार से ज्यादा डिग्री कॉलेजों और IITs व IIMs में से एक भी उसकी गणना में नहीं थे।
उन्होंने कहा, '5 साल के कार्यकाल के दौरान मैंने लगभग हर अकैडमिक प्रोग्राम में यह मुद्दा उठाया। वर्ल्ड क्लास के तौर पर अब कुछ इंस्टिट्यूशन्स की पहचान होने लगी है। मैं चाहता हूं कि हर एक इंस्टिट्यूशन की पहचान दुनियाभर में हो।'
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, '2022 में भारत की 50 पर्सेंट से ज्यादा पॉप्युलेशन 25 वर्ष से कम होगी लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। दूसरा पहलू यह है कि अगर हम उन्हें नौकरी नहीं देते हैं, उनके लिए रोजगार नहीं बनाते हैं, अगर जैसी जॉब की जरूरत है उसके हिसाब से उन्हें स्किल नहीं करते हैं तो इससे दिक्कत होगी। हमारे पास ग्रैजुएट्स, पोस्ट ग्रैजुएट्स हैं लेकिन इंडस्ट्री स्किल्ड मैनपावर के बुरे दौर से गुजर रही है।'
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि इंडस्ट्रीज के लिए जरूरी मैनपावर और उपलब्ध टैलंट एक-दूसरे से मेल नहीं खा रहा है। उन्होंने शनिवार को वर्ल्ड क्लास एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन्स और इनोवेशन्स पर जोर देने की बात कही।
एक ग्रैजुएशन सेरिमनी में बोलते हुए मुखर्जी ने कहा कि जिस वक्त वह राष्ट्रपति थे, उस समय उन्हें यह जानकर निराशा हुई कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा दी जाने वाली रेटिंग में भारत की करीब 763 स्टेट और सेंट्रल यूनिवर्सिटीज, 38 हजार से ज्यादा डिग्री कॉलेजों और IITs व IIMs में से एक भी उसकी गणना में नहीं थे।
उन्होंने कहा, '5 साल के कार्यकाल के दौरान मैंने लगभग हर अकैडमिक प्रोग्राम में यह मुद्दा उठाया। वर्ल्ड क्लास के तौर पर अब कुछ इंस्टिट्यूशन्स की पहचान होने लगी है। मैं चाहता हूं कि हर एक इंस्टिट्यूशन की पहचान दुनियाभर में हो।'
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, '2022 में भारत की 50 पर्सेंट से ज्यादा पॉप्युलेशन 25 वर्ष से कम होगी लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। दूसरा पहलू यह है कि अगर हम उन्हें नौकरी नहीं देते हैं, उनके लिए रोजगार नहीं बनाते हैं, अगर जैसी जॉब की जरूरत है उसके हिसाब से उन्हें स्किल नहीं करते हैं तो इससे दिक्कत होगी। हमारे पास ग्रैजुएट्स, पोस्ट ग्रैजुएट्स हैं लेकिन इंडस्ट्री स्किल्ड मैनपावर के बुरे दौर से गुजर रही है।'
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com
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