- Technology and Innovation Updates

Latest Technology News on mobile phones in India. Read news on computer, apps, games, gadgets and other personal tech.Get latest Technology news from the top sources for the Indian Technology Industry.

Breaking



Thursday 19 July 2018

2003 के बाद पहली बार मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव पेश करेगा। आइये इस मौके पर अविश्वास प्रस्ताव से जुड़ी कुछ खास बातें जानते हैं...

अब तक कुल कितने प्रस्ताव?
अब तक विभिन्न मौकों पर कुल 26 अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में आ चुके हैं। शुक्रवार को मोदी सरकार के खिलाफ लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव के साथ अब तक के अविश्वास प्रस्ताव की संख्या कुल 27 हो जाएगी।

पहला प्रस्ताव
समाजवादी नेता आचार्य कृपलानी ने 1963 में जवाहर लाल नेहरू सरकार के खिलाफ भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में पहला अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। भले ही यह अविश्वास प्रस्ताव 347 मतों से गिर गया था और सरकार पर कोई असर नहीं हुआ लेकिन इसके साथ ही देश में अविश्वास प्रस्ताव का इतिहास शुरू होता है।

इसको भी पढ़ें: अविश्वास प्रस्ताव पर खेमेबंदी, जानिए किसके साथ है कौन

सबसे ज्यादा किसके खिलाफ प्रस्ताव?
सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव का रेकॉर्ड इंदिरा गांधी सरकार के नाम है जिसके कार्यकाल में 15 बार प्रस्ताव पेश किया गया। 1966 से 1975 के बीच 12 बार और 1981 एवं 1982 में तीन बार उनके खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया।

कितनी बार सरकारें गिरीं
अब तक सिर्फ तीन बार 1990 में वी.पी.सिंह सरकार, 1997 में एच.डी.देवेगौड़ा सरकार और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास हो गया और सरकार गिर गई।

7 नवंबर 1990 को वी.पी.सिंह ने उस समय विश्वास प्रस्ताव पेश किया था जब बीजेपी ने उनसे समर्थन वापस ले लिया था। सरकार के पक्ष में 152 वोट पड़े थे और खिलाफ 356। इस तरह सरकार गिर गई थी।

11 अप्रैल, 1997 को देवेगौड़ा सरकार विश्वास मत हासिल करने में नाकाम रही थी। सरकार के पक्ष में 190 और खिलाफ में 338 वोट पड़े थे।

17 अप्रैल 1999 को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार सिर्फ एक वोटों से हार गई थी। सरकार के पक्ष में 269 वोट पड़े थे जबकि खिलाफ 270।

आखिरी बार
आखिरी बार अविश्वास प्रस्ताव 2003 में सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन एनडीए सरकार के खिलाफ पेश किया था। यह अविश्वास प्रस्ताव बुरी तरह नाकाम रहा था क्योंकि सरकार के पक्ष में 325 वोट पड़े थे और खिलाफ 212 वोट।

अविश्वास प्रस्ताव से पहले इस्तीफा
तीन मौके ऐसे भी आए हैं जब प्रधानमंत्री ने अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग या उसको लोकसभा में पेश करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया।

जुलाई 1979 में कांग्रेस लीडर वाई.वी.चाह्वान ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारीजी देसाई के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। वोटिंग से पहले ही मोरारीजी ने इस्तीफा दे दिया था। देसाई सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी और एल.के.आडवाणी मंत्री थे।

जब कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया था तो 20 अगस्त, 1979 को चौधरी चरण सिंह ने प्रस्ताव पेश किए जाने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था।

तीसरा मौका 1996 में आया। 28 मई, 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी ने अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होने से पहले इस्तीफा दे दिया था क्योंकि बीजेपी के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं था।

इनके खिलाफ भी आया अविश्वास प्रस्ताव
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुरी शास्त्री के खिलाफ तीन बार पहला 1964 में और 1965 के दौरान दो अविश्वास प्रस्ताव लाए गए थे।

1987 में राजीव गांधी सरकार के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था लेकिन ध्वनि मत से उस प्रस्ताव को हरा दिया गया था।
पी.वी.नरसिम्हा राव के कार्यकाल में तीन बार प्रस्ताव पेश किया गया।

अब तक लोकसभा में 13 बार अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हुई है जिनमें पांच प्रधानमंत्रियों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है।

2008 का विश्वास मत
अमेरिका से न्यूक्लियर डील पर लेफ्ट फ्रंट ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था जिसके बाद सरकार ने जुलाई 2008 में खुद से विश्वास मत पेश किया था। इस पर मतदान की अहमियत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यूपीए और विपक्षी पार्टियों ने अपने बीमार सांसदों को भी वोटिंग के लिए बुला लिया। इसमें आखिरकार सरकार की जीत हुई थी। सरकार के पक्ष में 269 वोट पड़े थे और खिलाफ 263।

मौजूदा स्थिति क्या है?
वैसे मौजूदा समय में भी सरकार मजबूत स्थिति में दिख रही है। ऐसा माना जा रहा है कि मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव बड़ी आसानी से गिर जाएगा क्योंकि सदन में NDA के पास 315 सांसद (स्पीकर समेत) हैं। आपको बता दें कि 535 सदस्यों में से बहुमत का आंकड़ा 268 है। बीजेपी के पास दो नामित सदस्यों को शामिल करते हुए सदन में 273 सदस्य हैं। हालांकि एनडीए के अंतिम नंबर में थोड़ा कम-ज्यादा हो सकता है क्योंकि बीजेपी के कुछ सांसद असंतुष्ट हैं जबकि कुछ बीमार या विदेश में हैं।

उधर, विपक्ष के पास 222 सदस्यों के समर्थन की बात कही जा रही है, जिसमें कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए के 63, एआईएडीएमके के 37, टीएमसी के 34, बीजेडी के 20, टीडीपी के 16, और टीआरएस के 11 सांसद शामिल हैं।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com

No comments:

Post a Comment

Pages