मानस गोहैन, नई दिल्ली
अपनी ग्लोबल रैंकिंग को बेहतर बनाने के उद्देश्य से सभी 23 इंडियन इंस्टिट्यूट्स ऑफ टेक्नॉलजी (आईआईटीज) विदेशी फैकल्टी की भर्ती के लिए मिलकर काम करेंगे। दरअसल किसी यूनिवर्सिटी या संस्थान की ग्लोबल रैंकिंग तय करने की प्रक्रिया में संबंधित यूनिवर्सिटी या संस्थान में कार्यरत विदेशी फैकल्टी की संख्या और उनके रिसर्च वर्क कुछ अहम पैरामीटर्स में से एक होते हैं यानी बड़ी संख्या में विदेशी फैकल्टी और रिसर्च वर्क से अच्छी रैंकिंग मिलती है।
इसी चीज को देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) की ओर से आईआईटीज को आपसी सहयोग और समन्वय का निर्देश मिला है। उनसे भारतीय मूल के रिसर्च स्कॉलर समेत विदेशी फैकल्टी को भर्ती करने के लिए विदेशी कैंपसों और रिसर्च संगठनों के अपने दौरे के दौरान समन्वय और सहयोग करने को कहा गया है। इस महीने में होने जा रही आईआईटी काउंसिल की मीटिंग में आईआईटीज के बीच सहयोग की इस व्यवस्था पर चर्चा होगी।
एक स्रोत ने बताया, 'कई आईआईटीज नई हैं और उनके बारे में सभी को ज्यादा जानकारी नहीं है। वैसे एक ब्रैंड के तौर पर आईआईटी की पूरी दुनिया में पहचान है और इसलिए मंत्रालय का मानना है कि उनको विदेशी फैकल्टी की भर्ती के समय मिलकर काम करना चाहिए। आईआईटी काउंसिल मीटिंग में यह अजेंडा रहेगा। हम इसके लिए एक संयुक्त संस्थान की स्थापना की संभावना पर भी चर्चा करेंगे। गुवाहाटी और रूड़की समेत पुरानी आईआईटीज का अच्छा अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है और सहयोग से निश्चित तौर पर नई आईआईटीज को मदद मिलेगी।'
आईआईटी मद्रास इंटरनैशनल ऐंड अल्युमनाई रिलेशंस के डीन आर.नागराजन का मानना है कि विदेशी फैकल्टी की भर्ती से न सिर्फ संस्थान की रिसर्च प्रोफाइल बेहतर होगी बल्कि इनोवेशंस को भी रफ्तार मिलेगी।
अपनी ग्लोबल रैंकिंग को बेहतर बनाने के उद्देश्य से सभी 23 इंडियन इंस्टिट्यूट्स ऑफ टेक्नॉलजी (आईआईटीज) विदेशी फैकल्टी की भर्ती के लिए मिलकर काम करेंगे। दरअसल किसी यूनिवर्सिटी या संस्थान की ग्लोबल रैंकिंग तय करने की प्रक्रिया में संबंधित यूनिवर्सिटी या संस्थान में कार्यरत विदेशी फैकल्टी की संख्या और उनके रिसर्च वर्क कुछ अहम पैरामीटर्स में से एक होते हैं यानी बड़ी संख्या में विदेशी फैकल्टी और रिसर्च वर्क से अच्छी रैंकिंग मिलती है।
इसी चीज को देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) की ओर से आईआईटीज को आपसी सहयोग और समन्वय का निर्देश मिला है। उनसे भारतीय मूल के रिसर्च स्कॉलर समेत विदेशी फैकल्टी को भर्ती करने के लिए विदेशी कैंपसों और रिसर्च संगठनों के अपने दौरे के दौरान समन्वय और सहयोग करने को कहा गया है। इस महीने में होने जा रही आईआईटी काउंसिल की मीटिंग में आईआईटीज के बीच सहयोग की इस व्यवस्था पर चर्चा होगी।
एक स्रोत ने बताया, 'कई आईआईटीज नई हैं और उनके बारे में सभी को ज्यादा जानकारी नहीं है। वैसे एक ब्रैंड के तौर पर आईआईटी की पूरी दुनिया में पहचान है और इसलिए मंत्रालय का मानना है कि उनको विदेशी फैकल्टी की भर्ती के समय मिलकर काम करना चाहिए। आईआईटी काउंसिल मीटिंग में यह अजेंडा रहेगा। हम इसके लिए एक संयुक्त संस्थान की स्थापना की संभावना पर भी चर्चा करेंगे। गुवाहाटी और रूड़की समेत पुरानी आईआईटीज का अच्छा अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है और सहयोग से निश्चित तौर पर नई आईआईटीज को मदद मिलेगी।'
आईआईटी मद्रास इंटरनैशनल ऐंड अल्युमनाई रिलेशंस के डीन आर.नागराजन का मानना है कि विदेशी फैकल्टी की भर्ती से न सिर्फ संस्थान की रिसर्च प्रोफाइल बेहतर होगी बल्कि इनोवेशंस को भी रफ्तार मिलेगी।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com
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