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Wednesday 29 August 2018

प्रतीकात्मक चित्र
पहले विदेश जाकर नौकरी करने का मतलब माना जाता था कि कैंडीडेट के पास कोई बहुत बड़ा ओहदा होगा या वह बड़ी संपत्ति का मालिक होगा लेकिन जैसे-जैसे दुनिया वैश्विक गांव में तब्दील होने लगी, देशों के बीच दूरी सिमटती गई। अब विदेश, सिर्फ बड़े ओहदे के लिए ही अवसर नहीं देता बल्कि ऐसी बहुत सी और नौकरियां भी हैं जिनसे विदेशों में न सिर्फ काम बल्कि लुभावना वेतन भी पाया जा सकता है। हां, इतना जरूर है कि ऐसी नौकरियों के लिए कैंडीडेट को उस देश की भाषा का ज्ञान होना चाहिए। ऐसे में फॉरन लैंग्वेज का कोर्स करियर बनाने में कैंडीडेट की मदद कर सकता है। शिखा पाण्डेय ने फॉरन लैंग्वेज के कोर्स और उनके भविष्य पर विशेषज्ञों से बात करके महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाईं। पूरी बात...

फॉरन लैंग्वेज में डिग्री, सर्टिफिकेट व डिप्लोमा व एडवांस्ड डिप्लोमा कोर्स किए जा सकते हैं। इनके लिए एलिजिबिलटी इंटरमीडिएट या समकक्ष होती है।

कोर्स अवधि: सर्टिफिकेट की अवधि 6 महीने से एक साल, डिप्लोमा 1-2 साल व ग्रैजुएशन के लिए 3 साल व पीजी के लिए 2 साल की अवधि निर्धारित है।

जॉब प्रोफाइल
टीचर: फॉरेज लैंग्वेज में करियर संवारना हो, तो टीचिंग एक बेहतरीन जॉब ऑप्शन हो सकता है। इसके लिए पीएचडी के साथ नेट क्वालिफाई करना होगा। कई इंस्टीट्यूट फॉरन लैंग्वेज में कोर्स कराते हैं, जहां आप टीचर के रूप में अच्छी कमाई कर सकते हैं। आप चाहें, तो टीचिंग को पार्ट-टाइम प्रफेशन के तौर पर भी अपना सकते हैं।

इंटरप्रेटर: टेलिकॉन्फ्रेंसिंग व वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग जैसी टेक्नॉलजी के आने से अब दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ मीटिंग या कॉन्फ्रेंस की जा सकती है। इसके लिए फॉरन लैंग्वेज एक्सपर्ट्स की मदद ली जाती है, जो इंटरप्रेटर यानी दुभाषिए का काम करते हैं। इंटरप्रेटर बनने के लिए आपको दो या इससे अधिक भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए। इसमें भाषाओं के अच्छे ज्ञान के अलावा वर्बल कम्युनिकेशन स्किल्स और एटिकेट्स भी अच्छे होना चाहिए।

ट्रांसलेटर: कई कंपनियों को अपने बिजनस पार्टनर्स या क्लाइंट्स से कम्युनिकेट करने के लिए ट्रांसलेटर्स की जरूरत होती है। आप रेग्युलर, फुल टाइम या पार्ट टाइम ट्रांसलेटर के तौर पर काम कर सकते हैं। कई एजेंसीज फॉरन लैंग्वेज एक्सपर्ट्स को ट्रांसलेटर के रूप में हायर करती हैं। ट्रांसलेशन किताबों, लेख, फिल्म स्क्रिप्ट आदि के लिए हो सकता है। एक अच्छे ट्रांसलेटर को भाषाओं के अलावा संबंधित विषय की भी जानकारी होना जरूरी है, तभी मूल भाषा का भाव नई भाषा में भी बनाए रख सकता है।

बीपीओ: भारत में बीपीओ इंडस्ट्री के तेजी से बढ़ने की एक बड़ी वजह फॉरन लैंग्वेज के स्किल्ड प्रोफेशनल्स रहे हैं। ये लोग डेटा प्रोसेसिंग से लेकर दूसरे जॉब्स में बखूबी अपनी काबिलियत साबित कर रहे हैं।

फॉरन सर्विसेज: फ्रैंच, जर्मन या रशियन लैंग्वेज में मास्टर्स करने वाले संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल होकर आईएएस या आईएफएस में जा सकते हैं।

कहां मिलेंगे मौके

विश्व व्यापार संगठन (WTO), संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO), विश्व बैंक (World bank) यूनिसेफ जैसी अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अलावा एयरलाइन्स में।

इसके अलावा पर्यटन, होटल, इंटरनैशनल मीडिया हाउस (प्रिंट, रेडियो, टी.वी) में न्यूज ट्रांसलेटर या बतौर रिपोर्टर करियर बना सकते हैं।

देश की बड़ी कंपिनियां जैसे एच.पी, ऑरेकल, सैमसंग, हुंडई, एलजी, थॉमसन, जीई, एवेंटिस, आदि विदेशी भाषा के विशेषज्ञों को नियुक्त करते हैं। यात्रा और पर्यटन क्षेत्र, होटल उद्योग, प्रदर्शनियों और मेलों, एयरलाइन कार्यालयों, निर्यात एजेंसियों, रेडियो स्टेशनों, व्यापार संगठनों को विदेशी भाषा के विशेषज्ञों के लिए रोजगार के अवसर मौजूद रहते हैं|

सैलरी
ट्रांसलेटर को 150 से 300 रुपये प्रति पेज मिल सकता है। साथ ही लोकप्रिय विदेशी भाषाओं जैसे जर्मन व फ्रेंच भाषा के लिए 300 से 500 रुपये प्रति पेज और जापानी और अरबी भाषा के लिए 750 रुपये प्रति पेज मिल सकता है।

यदि टीचिंग के क्षेत्र की बात करें तो 20000 रुपये से लेकर 600000 रुपये महीने तक की सैलरी पाई जा सकती है। एक अच्छा इंटरप्रिटेटर 8000 रुपये प्रति घंटे तक कमा सकता है।

ये संस्थान कराते हैं कोर्स
लखनऊ यूनिवर्सिटी, लखनऊ

कोर्स: सर्टिफिकेट व डिप्लोमा प्रोग्राम

द इंग्लिश एंड फॉरन लैंग्वेज यूनिवर्सिटी, लखनऊ

कोर्स: ग्रैजुएशन, पीजी, डिप्लोमा

अलीगढ़ विश्वविद्यालय, अलीगढ़, एलियांस फ्रेंचाइस, नई दिल्ली

कोर्स: डिग्री व डिप्लोमा प्रोग्राम

बाबा साहेब अंबेडकर मराठवाड़ा विवि, औरंगाबाद

कोर्स: डिप्लोमा प्रोग्राम

पंजाब विश्वविद्यालय, पटियाला

कोर्स: डिप्लोमा व सर्टिफिकेट प्रोग्राम

उत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर

कोर्स: डिप्लोमा प्रोग्राम

जैपेनीज कल्चर एंड इंफर्मेशन सेंटर,

एम्बेसी ऑफ जापान, नई दिल्ली

कोर्स: डिप्लोमा प्रोग्राम

दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

कोर्स: सर्टिफिकेट प्रोग्राम

होनी चाहिए ये स्किल्स
• अच्छी भाषाई पकड़• बेहतर सामाजिक• अनुकूलनशीलता• रचनात्मकता और उच्च बौद्धिक क्षमता • मेहनत से काम करने की क्षमता और लंबे समय तक के लिए काम करने के लिए तत्परता • स्वभाव में लचीलापन और नई चीजें सीखने की इच्छा• लंबी दूरी की यात्रा करने की क्षमता

फॉरन लैंग्वेज में ए- 1, ए-2 व बी-1, बी-2 लेवल के कोर्स किए हुए कैंडीडेट्स डिमांड में हैं। इसमें यदि कैंडीडेट्स केवल ए-2 लेवल तक के कोर्स भी कर लें तो जॉब आसानी से मिल जाएगी। फॉरन लैंग्वेज में कोर्स करने के बाद बीपीओ से लेकर एम्बेसीज तक में जॉब के ढेरों ऑप्शंस मौजूद हैं। हां, इतना ध्यान जरूर रखें कि कोर्स किसी अच्छे संस्थान से ही करें तो पहली जॉब के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
रजनी चौहान, डायरेक्टर, केंद्रिका फॉरन लैंग्वेजेज अकेडमी

Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com

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