सांकेतिक तस्वीर
किरण पाराशार, बेंगलुरु
एक तरफ शहर के कॉलेज एमबीबीएस कोर्सों के लिए मैनेजमेंट सीटों को भरने की प्रक्रिया पूरी करने में लगे हैं तो दूसरी ओर कुछ फेक एजेंसियों ने पुलिस की नींद हराम कर रखी है। जिन छात्रों का मेरिट लिस्ट में नाम नहीं आया है, उन छात्रों को मेडिकल सीट दिलाने का झांसा देकर के ये एजेंसियां उनसे पैसे ठग रही हैं।
शहर के अलग-अलग थानों में एक से भी कम महीने के अंदर 15 ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें किसी व्यक्ति या एजेंसी ने मेडिकल सीट दिलाने के पर छात्रों और उनके अभिभावकों को चूना लगाया है। पुलिस का दावा है कि करीब 40 पैरंट्स को इस तरह के लोगों ने ठगा है। 15 मामलों में करीब 5 करोड़ रुपये ठगे गए हैं। एक अभिभावक से 10-70 लाख रुपये मांगा जाता है।
पुलिस का कहना है कि ये संगठित गैंग हैं और सिर्फ ऐडमिशन के दिनों में ही सक्रिय होते हैं। सबको चूना लगाकर फिर ये लोग अंडरग्राउंड हो जाते हैं। एक जांच अधिकारी ने बताया, 'वे लोग इतने संगठित हैं कि उन छात्रों का डेटाबास जुटा लेते हैं जो मेडिकल सीट के लिए हाथ-पैर मार रहे होते हैं। फिर छात्रों से एसएमएस या टेलिकॉलर्स के माध्यम से संपर्क किया जाात है।'
अधिकारी ने यह भी बताया कि वे लोग पैसा लेने के मकसद से अलग बैंक खाता भी खुलवा लेते हैं जिसके लिए फर्जी पहचान प्रमाणपत्र और अन्य दस्तावेजों का सहारा लेते हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में वे नकदी मांगते हैं। इससे वे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर से भी बचे रहते हैं।
रातोंरात इस तरह की कंसल्टिंग एजेंसियों की बढ़ती संख्या के बारे में डीसीपी (सेंट्रल) डी.देवराज ने कबूल किया है। उन्होंने कहा, 'हमारी समझ में नहीं आता कि पैरंट्स ऐसे लोगों के पास क्यों पहुंचते हैं या फिर उनकी बात क्यों मानते हैं।'
जांचकर्ताओं को पता चला है कि कुछ मामलों में वे लोग शामिल हैं जिनलोगों ने मेडिकल कॉलेज में काम किया है या मैनेजमेंट के अब तक करीब हैं। अभी जांच जारी होने की वजह से आरोपियों के नाम का खुलासा नहीं किया गया है।
एक तरफ शहर के कॉलेज एमबीबीएस कोर्सों के लिए मैनेजमेंट सीटों को भरने की प्रक्रिया पूरी करने में लगे हैं तो दूसरी ओर कुछ फेक एजेंसियों ने पुलिस की नींद हराम कर रखी है। जिन छात्रों का मेरिट लिस्ट में नाम नहीं आया है, उन छात्रों को मेडिकल सीट दिलाने का झांसा देकर के ये एजेंसियां उनसे पैसे ठग रही हैं।
शहर के अलग-अलग थानों में एक से भी कम महीने के अंदर 15 ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें किसी व्यक्ति या एजेंसी ने मेडिकल सीट दिलाने के पर छात्रों और उनके अभिभावकों को चूना लगाया है। पुलिस का दावा है कि करीब 40 पैरंट्स को इस तरह के लोगों ने ठगा है। 15 मामलों में करीब 5 करोड़ रुपये ठगे गए हैं। एक अभिभावक से 10-70 लाख रुपये मांगा जाता है।
पुलिस का कहना है कि ये संगठित गैंग हैं और सिर्फ ऐडमिशन के दिनों में ही सक्रिय होते हैं। सबको चूना लगाकर फिर ये लोग अंडरग्राउंड हो जाते हैं। एक जांच अधिकारी ने बताया, 'वे लोग इतने संगठित हैं कि उन छात्रों का डेटाबास जुटा लेते हैं जो मेडिकल सीट के लिए हाथ-पैर मार रहे होते हैं। फिर छात्रों से एसएमएस या टेलिकॉलर्स के माध्यम से संपर्क किया जाात है।'
अधिकारी ने यह भी बताया कि वे लोग पैसा लेने के मकसद से अलग बैंक खाता भी खुलवा लेते हैं जिसके लिए फर्जी पहचान प्रमाणपत्र और अन्य दस्तावेजों का सहारा लेते हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में वे नकदी मांगते हैं। इससे वे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर से भी बचे रहते हैं।
रातोंरात इस तरह की कंसल्टिंग एजेंसियों की बढ़ती संख्या के बारे में डीसीपी (सेंट्रल) डी.देवराज ने कबूल किया है। उन्होंने कहा, 'हमारी समझ में नहीं आता कि पैरंट्स ऐसे लोगों के पास क्यों पहुंचते हैं या फिर उनकी बात क्यों मानते हैं।'
जांचकर्ताओं को पता चला है कि कुछ मामलों में वे लोग शामिल हैं जिनलोगों ने मेडिकल कॉलेज में काम किया है या मैनेजमेंट के अब तक करीब हैं। अभी जांच जारी होने की वजह से आरोपियों के नाम का खुलासा नहीं किया गया है।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com
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