सांकेतिक तस्वीर
मानस गोहैन, नई दिल्ली
सीबीएसई ने दिव्यांग छात्रों के लिए क्रांतिकारी सुधार का प्रस्ताव रखा है। सीबीएसई ने विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए कुछ खास कदम उठाने का सुझाव दिया है जिसमें विषय के तौर पर भारतीय साइन लैंग्वेज या ब्रेल ऑफर करना, कंप्यूटर आधारित टेस्ट, हाजिरी में छूट, अहम विषयों के लिए अलग-अलग कठिनाई स्तर का विकल्प और विषयों के चयन में लचीलता प्रदान करना है।
एचआरडी मिनिस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'कुछ अहम सुझावों में विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए एक विषय के तौर पर इंडियन साइन लैंग्वेज शामिल है। बोर्ड परीक्षाओं में भाषा के दो या एक अनिवार्य पेपर की जो मौजूदा शर्त है, उसमें भी इस तरह के बच्चों को छूट दी जा सकती है और बोर्ड द्वारा सुझाए गए फॉर्म्युले के मुताबिक इसकी जगह बच्चों को इंडियन साइन लैंग्वेज का ऑप्शन दिया जा सकता है। इसी तरह से ब्रेल को भी भाषा के एक विकल्प के तौर पर ऑफर किया जा सकता है।'
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंड्री एजुकेशन ने सभी राज्यों और हितधारकों को पत्र लिखकर उनसे पलिसी के ड्राफ्ट पर टिप्पणी करने को कहा है। इस पॉलिसी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय देश के लिए एक मॉडल के तौर पर पेश कर सकता है।
पॉलिसी के ड्राफ्ट में बोर्ड ने कहा है कि टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करके पढ़ने-पढ़ाने और परीक्षाओं को सभी के लिए सुलभ बनाया जाए लेकिन मौजूदा समय में संसाधनों की कमी सबसे बड़ी समस्या है। पॉलिसी के ड्राफ्ट में बोर्ड ने सेकंड्री और सीनियर सेकंड्री लेवल पर ज्यादा ऐसे विषयों का ऑप्शन देने को कहा है जो कौशल आधारित हों। गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे अहम विषयों को सभी छात्रों के लिए रुचिकर बनाने के लिए इसमें दो या तीन कठिनाई स्तर का विकल्प मुहैया कराने को कहा है। कठिनाई स्तर का यहां मतलब है कि एक विकल्प ऐसा होगा जिसमें ज्यादा कठिनाई वाले टॉपिक होंगे, दूसरे में उससे कम कठिन टॉपिक और तीसरे में और भी कम कठिन टॉपिक होंगे। इससे छात्र अपनी शैक्षिक प्रतिभा के मुताबिक, विकल्प का चुनाव करने की स्थिति में होंगे। इसके अलावा सीनियर सेकंड्री लेवल में अलग-अलग विषयों के कॉम्बिनेशन का भी प्रस्ताव दिया है।
जो छात्र चलने-फिरने के योग्य नहीं हैं, उनके लिए सीबीएसई ने ऑनलाइन कॉन्टेंट मुहैया कराने को कहा है। सीबीएसई ने अपने सुझाव में कहा है, 'जो बच्चे क्लासरूम तक नहीं आ सकते हैं उनके लिए ऑनलाइन क्लास कॉन्टेंट तैयार किए जाएं।'
हाजिरी में छूट
अधिकारी ने बताया, 'कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित छात्र या दूर-दराज इलाके में रहने वाले छात्र या गंभीर रूप से शारीरिक दिव्यांगों को हाजिरी में छूट दी जा सकती है। उनको स्कूल आने की जरूरती नहीं होगी। वे प्रत्येक सेशन के बाद ऑनलाइन ही टेस्ट भी दे सकते हैं।'
विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए एक जैसा सिस्टम बनाने के लिए सीबीएसई ने परामर्श के मकसद से 46 हितधारकों को आमंत्रित किया था। एक जैसा सिस्टम होने से सभी छात्र एक ही पैटर्न में एग्जाम दे सकेंगे। पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए आयोजित 4 जुलाई के सत्र में इन सभी 46 हितधारकों ने हिस्सा लिया। हिस्सा लेने वालों में 20 एजुकेशन बोर्ड्स, नैशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग, नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग, रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया, सामाजिक न्याय मंत्रालय, नैशनल बुक ट्रस्ट, मुख्य दिव्यांग आयुक्त का कार्यालय, अलिपुर की एसडीएम इरा सिंघल (2015 की आईएस टॉपर जो खुद भी दिव्यांग हैं), नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डेफ और अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट शामिल थे।
पॉलिसी के ड्राफ्ट में दिव्यांगों को ध्यान में रखते हुए स्कूल में इन्फ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराने का सुझाव दिया गया है। ड्राफ्ट में कहा गया है कि सभी स्कूल बिल्डिंग ऐसे हों कि दिव्यांग आसानी से आ-जा सकें, स्कूल बिल्डिंग के हर हिस्से में रैम्प या लिफ्ट हो और कम से कम एक सुलभ शौचालय का निर्माण किया जाए।
सीबीएसई ने दिव्यांग छात्रों के लिए क्रांतिकारी सुधार का प्रस्ताव रखा है। सीबीएसई ने विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए कुछ खास कदम उठाने का सुझाव दिया है जिसमें विषय के तौर पर भारतीय साइन लैंग्वेज या ब्रेल ऑफर करना, कंप्यूटर आधारित टेस्ट, हाजिरी में छूट, अहम विषयों के लिए अलग-अलग कठिनाई स्तर का विकल्प और विषयों के चयन में लचीलता प्रदान करना है।
एचआरडी मिनिस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'कुछ अहम सुझावों में विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए एक विषय के तौर पर इंडियन साइन लैंग्वेज शामिल है। बोर्ड परीक्षाओं में भाषा के दो या एक अनिवार्य पेपर की जो मौजूदा शर्त है, उसमें भी इस तरह के बच्चों को छूट दी जा सकती है और बोर्ड द्वारा सुझाए गए फॉर्म्युले के मुताबिक इसकी जगह बच्चों को इंडियन साइन लैंग्वेज का ऑप्शन दिया जा सकता है। इसी तरह से ब्रेल को भी भाषा के एक विकल्प के तौर पर ऑफर किया जा सकता है।'
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंड्री एजुकेशन ने सभी राज्यों और हितधारकों को पत्र लिखकर उनसे पलिसी के ड्राफ्ट पर टिप्पणी करने को कहा है। इस पॉलिसी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय देश के लिए एक मॉडल के तौर पर पेश कर सकता है।
पॉलिसी के ड्राफ्ट में बोर्ड ने कहा है कि टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करके पढ़ने-पढ़ाने और परीक्षाओं को सभी के लिए सुलभ बनाया जाए लेकिन मौजूदा समय में संसाधनों की कमी सबसे बड़ी समस्या है। पॉलिसी के ड्राफ्ट में बोर्ड ने सेकंड्री और सीनियर सेकंड्री लेवल पर ज्यादा ऐसे विषयों का ऑप्शन देने को कहा है जो कौशल आधारित हों। गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे अहम विषयों को सभी छात्रों के लिए रुचिकर बनाने के लिए इसमें दो या तीन कठिनाई स्तर का विकल्प मुहैया कराने को कहा है। कठिनाई स्तर का यहां मतलब है कि एक विकल्प ऐसा होगा जिसमें ज्यादा कठिनाई वाले टॉपिक होंगे, दूसरे में उससे कम कठिन टॉपिक और तीसरे में और भी कम कठिन टॉपिक होंगे। इससे छात्र अपनी शैक्षिक प्रतिभा के मुताबिक, विकल्प का चुनाव करने की स्थिति में होंगे। इसके अलावा सीनियर सेकंड्री लेवल में अलग-अलग विषयों के कॉम्बिनेशन का भी प्रस्ताव दिया है।
जो छात्र चलने-फिरने के योग्य नहीं हैं, उनके लिए सीबीएसई ने ऑनलाइन कॉन्टेंट मुहैया कराने को कहा है। सीबीएसई ने अपने सुझाव में कहा है, 'जो बच्चे क्लासरूम तक नहीं आ सकते हैं उनके लिए ऑनलाइन क्लास कॉन्टेंट तैयार किए जाएं।'
हाजिरी में छूट
अधिकारी ने बताया, 'कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित छात्र या दूर-दराज इलाके में रहने वाले छात्र या गंभीर रूप से शारीरिक दिव्यांगों को हाजिरी में छूट दी जा सकती है। उनको स्कूल आने की जरूरती नहीं होगी। वे प्रत्येक सेशन के बाद ऑनलाइन ही टेस्ट भी दे सकते हैं।'
विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए एक जैसा सिस्टम बनाने के लिए सीबीएसई ने परामर्श के मकसद से 46 हितधारकों को आमंत्रित किया था। एक जैसा सिस्टम होने से सभी छात्र एक ही पैटर्न में एग्जाम दे सकेंगे। पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए आयोजित 4 जुलाई के सत्र में इन सभी 46 हितधारकों ने हिस्सा लिया। हिस्सा लेने वालों में 20 एजुकेशन बोर्ड्स, नैशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग, नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग, रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया, सामाजिक न्याय मंत्रालय, नैशनल बुक ट्रस्ट, मुख्य दिव्यांग आयुक्त का कार्यालय, अलिपुर की एसडीएम इरा सिंघल (2015 की आईएस टॉपर जो खुद भी दिव्यांग हैं), नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डेफ और अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट शामिल थे।
पॉलिसी के ड्राफ्ट में दिव्यांगों को ध्यान में रखते हुए स्कूल में इन्फ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराने का सुझाव दिया गया है। ड्राफ्ट में कहा गया है कि सभी स्कूल बिल्डिंग ऐसे हों कि दिव्यांग आसानी से आ-जा सकें, स्कूल बिल्डिंग के हर हिस्से में रैम्प या लिफ्ट हो और कम से कम एक सुलभ शौचालय का निर्माण किया जाए।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com
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