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Friday, 8 June 2018

हायर एजुकेशन के लिए अभी नहीं होगा HEERA का गठन

government likely to drop single education regulator plan
अनुभूति विश्नोई, नई दिल्ली
देश के सबसे बड़े शिक्षा सुधार को फिलहाल केंद्र सरकार ठंडे बस्ते में डालने जा रही है। मोदी सरकार ने यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (यूजीसी) और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) को खत्म करके इसकी जगह एक ही रेग्युलेटर बनाने जैसे शिक्षा सुधार की योजना बनाई थी। अगले साल चुनाव को देखते हुए फिलहाल नए रेग्युलेटर के गठन की अपनी योजना को अमलीजामा नहीं पहनाएगी। इसकी बजाय यूजीसी, एआईसीटीई और नैशनल काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन से संबंधित सुधारों को आगे बढ़ाया जाएगा। आपको बता दें कि सिंगल एजुकेशन रेग्युलेटर को अब तक देश के शिक्षा क्षेत्र में बड़ा सुधार बताया जा रहा था। इसे नीति आयोग और पीएमओ का भी समर्थन प्राप्त था।


HEERA क्या है?
इस सिंगल एजुकेशन रेग्युलेटर का नाम हायर एजुकेशन इवैल्युशन ऐंड रेग्युलेशन अथॉरिटी (HEERA-हीरा) रखने का प्रस्ताव था। अप्रैल 2018 में एचआरडी मिनिस्ट्री ने 40 सूत्री कार्ययोजना की भी घोषणा की थी। सितंबर 2018 तक संसद में हीरा बिल को पेश करने की योजना थी। बिल का ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया गया था जो फिलहाल विचाराधीन था। लेकिन पिछले महीने मसूरी में 2022 के लिए नई शिक्षा रणनीति पर एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था जिसमें इस पर गंभीर चिंताएं दर्ज कराई गईं। इसके बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

हीरा के रास्ते में बाधाएं
मसूरी में आयोजित कॉन्फ्रेंस में कुछ चुनौतियों की ओर ध्यान दिलाया गया। मोदी सरकार के कार्यकाल को एक साल रह गया है। ऐसे में संसद में नए रेग्युलेटरी स्ट्रक्चर के लिए कानून पास होना संभव नहीं है। एआईसीटीई ने भी इस पर आपत्ति जताई थी। इसका कहना था कि अपने रेग्युलेटरी अप्रोच में कई सुधार किए हैं और इस स्टेज में हीरा जैसे रेग्युलेटर के साथ इसके विलय को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। 2017 बजट के बाद यूजीसी ने भी कई सुधार किए हैं, इस ओर भी ध्यान दिलाया गया।

अब आगे क्या?
अब यूजीसी और एआईसीटीई को ही ज्यादा पावर देने की योजना है। फर्जी और असक्षम संस्थानों को बंद करने और उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का अधिकार यूजीसी को दिया जा सकता है। यूजीसी से फंडिंग पावर लेकर इसे मंत्रालय को देने पर गौर किया जा रहा है ताकि यूजीसी पूरी तरह संस्थानों में पढ़ाई की गुणवत्ता के स्तर की निगरानी कर सके।

मंत्रालय की ओर से यूजीसी और एआईसीटीई से कहा गया है कि अपने संबंधित कानून और रेग्युलेशंस में वे जो बदलाव जरूरी समझते हैं उनकी लिस्ट तैयार करें ताकि वे ज्यादा प्रभावी रेग्युलेटर बन सकें। एक महीने के अंदर दोनों रेग्युलेटर्स को लिस्ट देने का काम सौंपा गया है जिसके लिए मीटिंग्स भी शुरू हो चुकी है।

पहली बार नहीं हुआ ऐसा
मोदी सरकार ही पहली सरकार नहीं है जिसने सिंगल एजुकेशन रेग्युलेटर का प्लान तैयार किया हो और फिर इसे वापस लिया हो। यूपीए द्वितीय के कार्यकाल में एचआरडी मिनिस्टर कपिल सिब्बल ने भी इसी तरह का एक कानून बनाने की कोशिश की थी लेकिन यह मामला फंस गया था। वैसे एक ही रेग्युलेटर का आइडिया नया नहीं है। यूपीए शासन के प्रफेसर यशपाल कमिटी और नैशनल नॉलेज कमिशन और मोदी सरकार के कार्यकाल में हरि गौतम कमिटी समेत कई कमिटियों ने ने लाल फीताशाही और लापरवाही से हायर एजुकेशन को छुटकारा दिलाने के लिए एक सिंगल एजुकेशन रेग्युलेटर के गठन का सुझाव दिया।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com

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